રાષ્ટ્રીય

100 वर्ष पुरानी मस्जिद को कथित रूप से ध्वस्त किए जाने पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड खफा

लखनऊ :

उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाराबंकी जिले की रामसनेहीघाट तहसील में स्थित 100 वर्ष पुरानी मस्जिद को कथित रूप ध्वस्त किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई है। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जुफर अहमद फारूकी ने कहा कि यह मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज थी, इसे ध्वस्त किया जाना कानून के खिलाफ है। उन्होने इस अवैध व मनमानी कार्रवाई की कड़ी निंदा की है।
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि यह न सिर्फ कानून के खिलाफ है, बल्कि शक्तियों का दुरुपयोग है। साथ ही हाईकोर्ट द्वारा पारित 24 अप्रैल 2021 के आदेश का पूर्ण उल्लंघन है। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मस्जिद को फिर से बनाए जाने, उच्च स्तरीय जांच कराने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जल्द ही हाईकोर्ट में मामला दायर करेगा।
उधर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने बताया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर नौ सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, जो मौके पर जाएगी और जिलाधिकारी से मिलकर पूरे मामले की जांच कराए जाने की मांग करेगी। इस कमेटी में बाराबंकी के जिलाध्यक्ष, तीन पूर्व मंत्री, एक सांसद, दो विधायक व एक एमएलसी को शामिल किया गया है।
समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष मौलाना अयाज अहमद ने दावा किया कि रामसनेही घाट स्थित गरीब नवाज मस्जिद को ढहा दिया गया है। उन्होने कहा कि यह अत्यंत शर्मनाक घटना है। बाराबंकी हमेशा गंगा-जमुनी तहजीब का केंद्र रहा है। पुलिस प्रशासन ने सोमवार रात कोरोना कर्फ्यू की आड़ में रामसनेहीघाट की गरीब नवाज मस्जिद को शहीद कर दिया है। यह मस्जिद वक्फ बोर्ड में दर्ज है और यह आजादी से पहले की बनी है।

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