योग-साधना हैं जरूरी – डॉ सुनीता शर्मा
कोरोना काल में मनुष्य संक्रमित होने से स्वयं को एक कमरे में
बंद कर लेता है और पूरी तरह घर संसार से कट जाता है। मन में अनेक आशंकाएं जन्म लेती है। वह हताश और निराश हो जाता हैऔर उसकी दिनचर्या अस्त व्यस्त हो जाती है। वस्तुतः यदि इस समय सूझ -बुझ और धैर्य से काम लिया जाए तो यह नकारात्मकता, सकारात्मकता में परिवर्तित हो सकती है।
कुछ समय पूर्व मैं भी कोरोना संक्रमित हो गई थी। मेरी अति व्यस्त दिनचर्या को जैसे विराम मिल गया। ।मैं एक योग प्रशिक्षिका हूं पिछले 10 वर्षों से कार्यरत हूं। इस समय मैं अपनी योग कक्षाएं ऑनलाइन ले रही हूं।संक्रमित होने पर मैं नियमित सुबह शाम प्राणायाम और योगाभ्यास करती रही। इसी कारण मैं स्वयं को सक्रिय और ऊर्जावान रख सकीं। अतः मैं जल्द ही स्वस्थ होने लगी। यह समय मेंरे लिए आत्म-चिंतन का था। अपनी साहित्यिक अभिरुचि के कारण मेंने इस समय कई रचनाओं का लेखन किया। वस्तुतः मैं योग साधना और साहित्य सृजन के कारण ही जल्द ही स्वस्थ हो गई। निसंदेह योगाभ्यास से मनोबल दृढ़ होता है जिससे किसी भी विषम परिस्थिति में भी हम सहज रह सकते हैं। योग करने से मन प्रफुल्लित रहता है और कार्य क्षमता बढ़ती है।यदि सूर्योदय से पहले योग किया जाए तो पूरे दिन थकान महसूस नहीं होती।एक प्रसन्न हदय सबको ऊर्जा और प्रसन्नता ही वितरित करता है।योग से शरीर में ‘हैप्पी हार्मोन्स’ स्रावित होते हैं जिससे मानसिक तनाव दूर होता है तथा रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। कोराना जैसी महामारी से बचने के लिए हमें प्रतिदिन योग करना चाहिए। कहा भी गया है…
करोगे योग, तो रहोगे निरोग
डॉ. सुनीता शर्मा “शानू”