ગુજરાત

प्राकृतिक खेती से टमाटर उगाना: पर्यावरण के अनुकूल और पौष्टिक उत्पादन का मंत्र

प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से टमाटर (Tomatoes) उगाना पर्यावरण (Environment) के अनुकूल और स्वास्थ्यवर्धक तरीका है, जो न केवल मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) बनाए रखता है, बल्कि उत्पादन को स्वादिष्ट और पौष्टिक भी बनाता है. यह एक टेक्निक (Technique) से बढ़कर एक विचार है, जो हमें प्रकृति (Nature) से जोड़ता है. इस प्रक्रिया में रासायनिक (Chemical) खादों और कीटनाशकों (Pesticides) का उपयोग बिल्कुल नहीं होता.

टमाटर (Tomatoes) की खेती (Farming) के लिए, सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से जोतकर नरम बनाया जाता है. इसके बाद, गाय का गोबर (Cow Dung), गौमूत्र (Cow Urine), नीम का अर्क (Neem Extract), छाछ (Buttermilk) जैसे जैविक पदार्थ मिट्टी में मिलाए जाते हैं. अच्छी किस्म के टमाटर (Tomatoes) के बीजों को बुवाई से पहले बीजामृत में भिगोया जाता है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Disease Resistance) बढ़ती है. नर्सरी में उगाए गए लगभग २०-२५ दिन पुराने पौधों को खेत में रोपा जाता है. पौधों को जीवामृत (Jeevamrut) या घनजीवामृत (Ghanjeevamrut) का छिड़काव करके पोषण दिया जाता है. कीटों (Pests) की समस्या होने पर नीम (Neem), लहसुन (Garlic) और हींग (Asafoetida) के मिश्रण का उपयोग किया जाता है. टमाटर (Tomatoes) की बेलों को सड़ने से बचाने के लिए सहारा दिया जाता है. प्राकृतिक रूप से उगाए गए टमाटर (Tomatoes) स्वाद में मीठे और पोषक तत्वों (Nutrients) से भरपूर होते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता (Fertility) भी बनी रहती है और किसानों (Farmers) को दीर्घकालिक बेनिफिट (Benefit) मिलता है.

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