ગાંધીનગરરાષ્ટ્રીય

IIT गांधीनगर के शोध में खुलासा: जलवायु परिवर्तन से भारत में अचानक बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि

गांधीनगर: आईआईटी गांधीनगर द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में भारत में अचानक बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि को उजागर किया गया है, जिसका सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन और विशिष्ट भौगोलिक स्थितियों से है। यह अध्ययन ‘एनपीजे नेचुरल हैज़र्ड्स’ जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने 1981 से 2020 तक के आंकड़ों का विश्लेषण करके देश के उन संभावित क्षेत्रों की पहचान की है जहां अचानक बाढ़ का खतरा सबसे अधिक है।

अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, तीन-चौथाई अचानक बाढ़ की स्थितियां भारी बारिश और पहले से ही नम मिट्टी के कारण पैदा होती हैं। अधिकांश घटनाएं तेजी से विकसित होती हैं, जो बारिश शुरू होने के छह घंटे के भीतर घटित होती हैं। हिमालयी क्षेत्र, पश्चिमी तट और मध्य भारत को ऐसे क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया है जहां अचानक बाढ़ का जोखिम अधिक है। हिमालय में, तेज ढलान और मिट्टी की अस्थिरता जैसे कारक जोखिम को बढ़ाते हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में पानी के बहाव की गति मुख्य कारक है।

अध्ययन में एक और चिंताजनक तथ्य सामने आया है कि गर्म होती जलवायु के कारण अब उन क्षेत्रों में भी भारी बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं जहां पहले यह खतरा कम था। इससे भविष्य में ऐसे नए क्षेत्रों में अचानक बाढ़ आने की संभावना बढ़ गई है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हाल ही में बादल फटने से आई बाढ़, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी, इस बात का प्रमाण है कि इन संवेदनशील क्षेत्रों में मजबूत बुनियादी ढांचे और आपदा प्रबंधन की तैयारी में सुधार करना कितना आवश्यक है।

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