सहकारिता केवल व्यापार नहीं, आत्मनिर्भरता की प्रेरक शक्ति है —दिलीप संघाणी
गुजरात मॉडल: PACS से लेकर वैश्विक ब्रांडिंग तक की सम्पूर्ण सहकारी संरचना
बिहार के लिए आह्वान: मखाना, लीची और चावल को सहकारिता के माध्यम से वैश्विक बाज़ार से जोड़ें – दिलीप संघाणी
नई दिल्ली, NCUI मुख्यालय में आयोजित बिहार के नवनियुक्त और सहकारी अधिकारियों की सहकारी अध्ययन यात्रा (IIIPA – प्रधानमंत्री कार्यालय) के अवसर पर श्री दिलीप संघानी, अध्यक्ष – इफको एवं वर्ल्ड कोऑपरेशन इकनॉमिक फोरम, ने एक भावनात्मक व प्रेरणादायक संबोधन दिया।
दिलीप संघाणी ने अपने राष्ट्रवादी उद्गार से कहा “बीती रात भारत ने फिर दिखा दिया कि अब वो केवल सहता नहीं—जवाब देता है। जो हमारी सेना सीमा पर सिपाही बनकर राष्ट्र की रक्षा करती है, उनके परिवार देश की भूमि पर किसान बनकर अन्न उत्पादन के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अपना कर्तव्य निभाते हैं। इसीलिए, सेना और किसान—दोनों ही राष्ट्र सेवा के दो अपरिहार्य स्तंभ हैं।
उन्होंने गुजरात की सहकारी भावना को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया:
“સહકાર એ વેપાર નહિ, સહયોગ છે, અહીં નફો નહિ, નિષ્ઠા વેચાય છે।
(सहकार व्यापार नहीं, सहयोग है। यहां लाभ नहीं, निष्ठा बिकती है।)
गुजरात के सहकारी मॉडल को उन्होंने आत्मनिर्भरता का रोडमैप बताते हुए कहा:
- तीन-स्तरीय ढाँचा: पैक्स (PACS) → जिला यूनियन → अपेक्स फेडरेशन
- डिजिटल पारदर्शिता: रजिस्ट्रेशन से लेकर बाज़ार तक की प्रणाली
- ब्रांड निर्माण: GI टैग व क्लस्टर आधारित वैश्विक पहुँच
गुजकोमासोल (GUJCOMASOL) की कार्यक्षमता को दर्शाते हुए उन्होंने बताया कि यह संस्था अब केवल विपणन नहीं, बल्कि मूल्यवर्धन का प्लेटफॉर्म बन चुकी है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री संघाणी ने कहा कि मखाना, कटारनी चावल और शाही लीची जैसे उत्पाद यदि सहकारी ढाँचे में लाकर ब्रांडेड, डिजिटल और निर्यातोन्मुख बनाए जाएँ, तो बिहार भारत का ग्रामीण एक्सपोर्ट इंजन बन सकता है।
भविष्य में जब आप अपनी जिम्मेदारियाँ संभालेंगे, उस समय यदि आप सरकार की विभिन्न सहकारी एवं कृषि योजनाओं को ज़मीन पर साकार रूप देंगे, तो यह न केवल नीति क्रियान्वयन की सफलता होगी, बल्कि राष्ट्र सेवा में आपका एक गौरवपूर्ण योगदान भी माना जाएगा।
जय हिंद! जय किसान! जय सहकारिता!