Lok Sabha: SIR और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उठे सवाल
संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र (Winter Session) के दौरान मंगलवार (9 दिसंबर) को लोकसभा (Lok Sabha) में चुनावी सुधारों (Electoral Reforms) पर गरमागरम चर्चा हुई। चर्चा की शुरुआत करने से पहले, स्पीकर (Speaker) ओम बिरला ने इसे एक संवेदनशील (Sensitive) बहस बताते हुए सभी सदस्यों से आरोप-प्रत्यारोप से बचने और केवल सुधारों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। कांग्रेस सांसद (MP) मनीष तिवारी (Manish Tewari) ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि लोकतंत्र (Democracy) में मतदाता और राजनीतिक पार्टी (Party) सबसे बड़े भागीदार हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए एक तटस्थ अंपायर (Umpire) की ज़रूरत होती है, जिसे देखते हुए चुनाव आयोग (Election Commission) का गठन किया गया था। उन्होंने ईवीएम (EVM) की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया और कहा कि मौजूदा माहौल में चुनाव आयोग की निष्पक्षता (Impartiality) पर सवाल उठाया जा रहा है।
तिवारी ने मांग की कि चुनाव आयोग (Election Commission) की नियुक्ति कमेटी (Committee) में सुधार किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि इसमें सरकार और विपक्ष के दो-दो प्रतिनिधि (Representative) होने चाहिए, साथ ही सीजेआई (CJI – Chief Justice of India) को भी शामिल किया जाना चाहिए। ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) का मुद्दा उठाते हुए कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि कई राज्यों में बिना कानूनी अधिकार (Legal Right) के SIR किया जा रहा है। उन्होंने धारा 21 (Section 21) का हवाला देते हुए कहा कि न तो संविधान (Constitution) और न ही कानून (Law) में SIR का कोई प्रावधान है। तिवारी ने सरकार से मांग की कि वह सदन के सामने यह स्पष्ट करे कि मतदाता सूची में कहाँ विसंगतियाँ (Discrepancies) हैं और SIR क्यों ज़रूरी है, क्योंकि यह प्रक्रिया आयोग को एक हथियार (Weapon) की तरह दी गई है।

