Vibrant Gujarat के दावे झूठे: पिछले 5 साल में 10,948 छोटे उद्योग बंद
करोड़ों रुपये खर्च करके वाइब्रेंट गुजरात (Vibrant Gujarat) का आयोजन करके यह दावा किया जाता है कि गुजरात औद्योगिक (Industrial) क्षेत्र में तेज़ी से प्रगति कर रहा है और शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार (Employment) के अवसर बढ़ रहे हैं। लेकिन स्थिति इसके विपरीत है। केंद्र सरकार (Central Government) की एक रिपोर्ट (Report) ने वाइब्रेंट गुजरात के दावों का पर्दाफाश किया है, क्योंकि पिछले पाँच वर्षों में गुजरात में 11,000 के करीब छोटे और लघु उद्योगों (Small and Micro Industries) पर ताला लग गया है। प्रोत्साहन (Incentives) के अभाव के कारण बंद होने वाले इन लघु उद्योगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है, जिससे बड़ी संख्या में लोग बेरोज़गार (Unemployed) हो गए हैं।
एक ओर जहाँ वाइब्रेंट गुजरात जैसे मेगा इवेंट (Mega Event) आयोजित किए जा रहे हैं और बड़े उद्योगों (Large Industries) के लिए लाल कालीन (Red Carpet) बिछाया जा रहा है; उन्हें महँगी ज़मीनें और करोड़ों रुपये की सब्सिडी (Subsidy) दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर छोटे लघु उद्योगों को सरकार की ओर से कोई प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। इस कारण छोटे उद्योगों के लिए बाज़ार (Market) में टिके रहना मुश्किल हो गया है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020-21 में 67 लघु उद्योग बंद हुए थे, जो संख्या 2024-25 में बढ़कर 3,534 तक पहुँच गई। पिछले पाँच वर्षों में कुल 10,948 छोटे लघु-उद्योग बंद हुए हैं, जिसके चलते कुल 54,901 लोग बेरोज़गार हुए। इसके अलावा, उद्यम पोर्टल (Udyam Portal) पर पंजीकृत छोटे लघु उद्योगों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है, जो 2023-24 में 13 लाख से अधिक थी, वह 2025-26 में घटकर मात्र 5,30,160 रह गई है। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि सरकार की औद्योगिक नीति (Industrial Policy) छोटे उद्योगों की उपेक्षा कर रही है, जिसके कारण यह संकट गहराया है।

