तलाटी-मंत्री नहीं पकड़ेंगे कुत्ते, केवल नोडल अधिकारी के रूप में करेंगे काम
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा सार्वजनिक स्थानों जैसे अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाने के आदेश के बाद गुजरात में उपजा विवाद अब थम गया है। राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर आधिकारिक स्पष्टीकरण (Official Clarification) जारी करते हुए एक नया परिपत्र (Circular) पेश किया है। सरकार ने साफ किया है कि तलाटी-कम-मंत्री को सड़कों पर उतरकर कुत्ते पकड़ने का काम नहीं सौंपा गया है। उनकी भूमिका केवल जानकारी एकत्र करने और व्यवस्था की निगरानी करने वाले एक नोडल अधिकारी (Nodal Officer) तक सीमित रहेगी। इससे पहले सरकारी कर्मचारियों के बीच यह गलतफहमी (Misunderstanding) फैल गई थी कि उन्हें स्वयं कुत्तों को पकड़ना होगा, जिसके कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे।
यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट की सुओ मोटो (Suo Moto) याचिका के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें आवारा पशुओं के हमलों और उनसे होने वाली दुर्घटनाओं (Accidents) पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी। राज्य सरकार ने 18 नवंबर 2025 को एक योजना तैयार की थी, जिसके तहत जिला स्तर पर पशुपालन विभाग के निदेशक और पंचायत स्तर पर तलाटी को समन्वय की जिम्मेदारी दी गई थी। सरकार ने अब स्पष्ट किया है कि बुनियादी ढांचा (Infrastructure) विकसित करने और व्यवस्था को सुचारू बनाने की जिम्मेदारी प्रशासन की है, न कि किसी व्यक्तिगत कर्मचारी की शारीरिक रूप से कुत्तों को पकड़ने की। कानूनी विभाग (Law Department) में दायर याचिकाओं और कर्मचारी संघों के विरोध के बाद सरकार को यह स्पष्टता देनी पड़ी है।

