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डाकोर रणछोडऱाय मंदिर में बन गया इतिहास, फाल्गुन पूर्णिमा का उत्सव बंद दरवाजे के अंदर मनाया गया।

आणंद ।

खेड़ा जिले के धार्मिक स्थल डाकोर के रणछोडऱाय मंदिर में इतिहास में पहली बार फाल्गुन पूर्णिमा का उत्सव बंद दरवाजे के अंदर मनाया गया।मंदिर में सेवा-पूजा सुबह नियमानुसार की गई। सुबह सवा छह बजे आरती की गई। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर का दरवाजा जरूर बंद रखा गया लेकिन प्रशासन की ओर से दर्शन की लाइव व्यवस्था चैनलों के जरिए की गई।

सीमित संख्या के बीच ध्वजारोहण

खेड़ा जिले का धार्मिक स्थल डाकोर में भगवान रणछोडऱाय के दर्शन के लिए हरेक पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। करीब दो से तीन लाख श्रद्धालु इस अवसर के साक्षी होते हैं। इस बार कोरोना महामारी के कारण फाल्गुन पूर्णिमा पर तीन दिनों के लिए मंदिर बंद रखा गया है। डाकोर के लिए फाल्गुन पूर्णिमा लोकोत्सव माना जाता है। इस दिन आणंद समेत अहमदाबाद, वडोदरा और आसपास के कई जिलों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु उमड़ते हैं। हाल में कोरोना संक्रमण के कारण स्थिति विपरीत है। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि होली के त्योहार पर राजाधिराज भगवान रणछोडऱाय का मंदिर बंद करना पड़ा है। संक्रमण के भय से प्रशासन ने मंदिर में नित्य पूजा-अर्चना समेेत सभी धार्मिक विधियों को बंद दरवाजे करवाने की व्यवस्था करवाई है।

वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन

वर्षों से चली आ रही लोक परंपरा को जीवित रखने के लिए जिला और पुलिस प्रशासन ने केन्द्र और राज्य सरकार के निर्देशानुसार सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य नियमों का पालन कराते हुए मंदिर पर ध्वजा पूजा और ध्वजा चढ़ाने का प्रसंग पूरा किया गया। कलक्टर आई के पटेल ने कहा कि मंदिर में तीन दिनों तक मंदिर ट्रस्ट के निजी सेवकों की ओर से भगवान की पूजा-अर्चना की व्यवस्था की गई है। रविवार को सीमित लोगों की मौजूदगी में ध्वजारोण की विधि पूरी की गई। साथ ही भगवान से कोरोना महामारी दूर भगाने की प्रार्थना की गई।

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