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भारत में परमाणु ऊर्जा का नया युग: केंद्र ने शांति बिल को दी मंजूरी, प्राइवेट कंपनियां करेंगी एंट्री

केंद्र सरकार (Central Government) ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए ‘शांति’ (SHANTI – Sustainable Harnessing and Advancement of Nuclear Energy for Transforming India) बिल को मंज़ूरी दे दी है। इस कदम से अब निजी कंपनियों (Private Companies) के लिए भारत के परमाणु ऊर्जा (Nuclear Energy) क्षेत्र में प्रवेश के द्वार खुल गए हैं। यह बिल 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम (Atomic Energy Act) के बाद का सबसे बड़ा सुधार साबित होगा। 63 साल पुराने सरकारी एकाधिकार (Monopoly) को तोड़ते हुए, अब निजी कंपनियाँ परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भागीदारी कर सकेंगी। हालाँकि, सुरक्षा (Security) और संचालन (Operation) का नियंत्रण सरकारी एजेंसियाँ (Government Agencies) संभालेंगी, जबकि निजी कंपनियाँ पूंजी (Capital), ज़मीन और टेक्नोलॉजी (Technology) लाएंगी। यह कदम देश के जलवायु लक्ष्यों (Climate Goals) को पूरा करने और 2047 तक 100 GW परमाणु ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए आवश्यक (Essential) माना जा रहा है।

आज़ादी के बाद से, भारतीय परमाणु क्षेत्र एक किले की तरह बंद था, जिसका संचालन केवल परमाणु ऊर्जा विभाग (DAE) और सरकारी न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन (NPCIL) ही करते थे। 1962 के क़ानून में स्पष्ट था कि निजी कंपनियाँ परमाणु प्लांट (Plant) नहीं चला सकतीं। नतीजतन, अब तक केवल 8 GW क्षमता के सरकारी प्लांट्स ही बन पाए हैं, जो देश की कुल बिजली (Electricity) का मात्र 3% है। यह नया SHANTI बिल 1962 के एटॉमिक एनर्जी एक्ट और 2010 के सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट में संशोधन (Amendment) करके निजी प्रवेश का मार्ग खोलेगा। ‘कंपनी’ की परिभाषा बदलकर कंपनीज़ एक्ट, 2013 के तहत पंजीकृत किसी भी फ़र्म को लाइसेंस (License) मिल सकेगा। निजी कंपनियाँ ज़मीन, पानी, पूंजी और टेक्नोलॉजी में निवेश (Investment) करेंगी और उत्पादित बिजली की मालिक होंगी, जिसका अर्थ है कि वे उसे बेचकर मुनाफ़ा (Profit) कमा सकेंगी। जबकि सरकार (NPCIL या DAE) ही रिएक्टर (Reactor) के डिज़ाइन, निर्माण, संचालन और संवेदनशील सामग्री (Uranium) को संभालेगी। यह बिल फैक्ट्री में बनने वाले सस्ते, सुरक्षित और तेज़ स्मॉल मॉड्युलर रिएक्टर (SMR – Small Modular Reactor) के निर्माण को भी बढ़ावा देगा।

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