गुजरात सचिवालय में आंदोलकारियों की ‘नो एंट्री’: कई नेता ब्लैकलिस्ट
गुजरात के सचिवालय (Secretariat) में पाटीदार और अन्य जन आंदोलनों के प्रमुख चेहरों के प्रवेश पर प्रतिबंध (Prohibition) लगाए जाने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि जनता के हक और अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं के लिए ‘लोकतंत्र के मंदिर’ के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं, जबकि दलालों और रसूखदार ठेकेदारों को बेरोकटोक प्रवेश दिया जा रहा है। हाल ही में जब किसानों के मुद्दों को लेकर विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल (Delegation) मुख्यमंत्री से मिलने पहुँचा, तब पेपर लीक और भर्ती घोटालों को उजागर करने वाले नेता युवराज सिंह जडेजा को मुख्य द्वार पर यह कहकर रोक दिया गया कि वे ब्लैकलिस्ट (Blacklist) में हैं। चौंकाने वाली बात यह रही कि विधायकों की सिफारिश के बावजूद उन्हें अंदर जाने की अनुमति (Permission) नहीं मिली।
जाँच में सामने आया है कि राज्य सरकार ने विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों से जुड़े नेताओं की एक सूची (List) तैयार की है, जिनके सचिवालय में प्रवेश पर रोक है। पूर्व में हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर जैसे नाम भी इस सूची में थे, लेकिन उनके विधायक बनने के बाद नाम हटा दिए गए। हालांकि, पाटीदार आंदोलन से जुड़े कई अन्य कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को चार साल बीत जाने के बाद भी प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। विरोधियों का आरोप है कि भाजपा राज में सरकार के खिलाफ आवाज उठाना अपराध (Crime) बन गया है और सचिवालय को एक निजी क्लब की तरह चलाया जा रहा है। जहाँ फाइलों और टेंडरों के लिए काम करने वाले बिचौलियों का स्वागत होता है, वहीं जनहित के मुद्दों पर मंत्रियों (Ministers) को घेरने वाले आंदोलकारियों को सुरक्षा (Security) का हवाला देकर बाहर ही रखा जाता है।

