चीन-भारत प्रतिद्वंद्वी नहीं, विकास के साथी: पीएम मोदी ने सीमा पर शांति और विश्वास पर जोर दिया
तियानजिन (चीन): अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव के बीच, भारत और चीन के संबंधों में सुधार देखने को मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने के लिए उत्तरी चीन के तियानजिन पहुंचे, जहां उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया।
पीएम मोदी ने कहा, “मानवता के कल्याण और वैश्विक संतुलन के लिए हाथी और ड्रैगन की दोस्ती निर्णायक है।” इसके जवाब में, जिनपिंग ने भी कहा कि “मित्र बनना, अच्छे पड़ोसी बनना और ड्रैगन तथा हाथी का एक साथ आना बहुत जरूरी है।” यह बैठक लगभग एक घंटे तक चली, जिसमें दोनों नेताओं ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
संबंधों में सुधार के संकेत:
- कोविड-19 महामारी और गलवान हिंसा के बाद दोनों देशों के रिश्ते में खटास आ गई थी।
- लेकिन, 2023 और 2024 में रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच हुई मुलाकातों ने संबंधों में सुधार की दिशा तय की।
- पीएम मोदी ने सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति और कैलाश मानसरोवर यात्रा की फिर से शुरुआत होने का जिक्र किया।
- दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवा फिर से शुरू होने वाली है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि विकास के साथी हैं। उन्होंने सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को संबंधों की प्रगति के लिए अनिवार्य बताया। दोनों नेताओं ने आतंकवाद और निष्पक्ष व्यापार जैसे मुद्दों पर भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। पीएम मोदी ने जिनपिंग को 2026 में भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आने का निमंत्रण भी दिया।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि दुनिया बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है और भारत-चीन को मिलकर बहु-ध्रुवीय विश्व लाने के लिए काम करना चाहिए। दोनों देशों को अपने संबंधों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने टैरिफ को एक हथियार बनाकर भारत सहित दुनिया के कई देशों को निशाना बनाया है। मोदी और जिनपिंग दोनों ने ट्रम्प की नीतियों की ओर इशारा करते हुए एकपक्षीयता के बजाय बहु-ध्रुवीय विश्व की वकालत की।