अहमदाबाद में साइबर फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश: 3.16 करोड़ की नकदी जब्त
अहमदाबाद: अहमदाबाद के पालडी इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति के साथ हुई ₹25,000 की ऑनलाइन धोखाधड़ी की जांच करते हुए, पुलिस ने एक बड़े साइबर फ्रॉड रैकेट का खुलासा किया है। इस मामले में पालडी पुलिस को करोड़ों रुपये की वित्तीय हेराफेरी के चौंकाने वाले सबूत मिले हैं। पुलिस ने तीसरे स्तर के वित्तीय लेनदेन की जांच के बाद छह लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से ₹3.16 करोड़ की नकदी जब्त की, जो ऑनलाइन ठगी की रकम थी। जांच में कुल ₹23.23 करोड़ के आर्थिक लेनदेन का खुलासा हुआ है।
यह मामला तब शुरू हुआ जब पालडी निवासी उर्वीश भारद्वाज के मोबाइल फोन को हैक कर बैंक ऑफ बड़ौदा के उनके खाते से बिना ओटीपी के गूगल पे के जरिए ₹25,000 की ठगी की गई। हालांकि यह रकम छोटी थी, लेकिन पालडी पुलिस स्टेशन के पीआई एम.आर. परवाडा ने इसे गंभीरता से लिया और जांच शुरू की।
पुलिस ने जब ₹25,000 के लेनदेन की जांच की, तो पता चला कि यह रकम तीन अलग-अलग स्तरों में ट्रांसफर हुई थी। तीसरे स्तर की रकम यूनियन बैंक की ड्राइव-इन रोड शाखा के दो खातों में जमा हुई थी। इन खातों से नियमित रूप से सेल्फ चेक के जरिए लाखों रुपये निकाले जा रहे थे। पुलिस ने बैंक से पैसे निकालने आए छह लोगों को हिरासत में लिया और उनके पास से ₹3.16 करोड़ की नकदी, 15 मोबाइल फोन और 9 चेकबुक जब्त कीं।
जांच में पता चला कि ये लोग ठगी की रकम को सेल्फ चेक से निकालकर हवाला के जरिए अलग-अलग शहरों में भेजते थे, और फिर उसे क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन में ट्रांसफर कर देते थे। पुलिस ने पाया कि इस रैकेट ने कुल ₹23.23 करोड़ का लेनदेन किया था। पुलिस ने सभी छह आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है, और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे होंगे।
पुलिस का मानना है कि बैंकों द्वारा अकाउंट खोलने के नियमों का सही से पालन न करने के कारण इस तरह के फ्रॉड बढ़ रहे हैं। आरबीआई के नियमों के अनुसार, अचानक बड़ी रकम के लेनदेन पर बैंक को खाताधारक से पूछताछ करनी चाहिए और सस्पिशियस ट्रांजैक्शन रिपोर्ट (STR) की जानकारी आरबीआई को देनी चाहिए, लेकिन अधिकांश बैंक ऐसा नहीं करते हैं।